रुद्राक्ष (Rudraksh)

ॐ त्र्यम्बक यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् !!


  • शिव तप के समय क्षुब्ध हो उठे और उनके नेत्रों से जल की कुछ बूंद धरती पर गिरी यही रुद्राक्ष के फल के रुप में परिणित हुई। यह चार प्रकार के होते हैं एवं इनमें असीम शक्ति होती हैं। रुद्राक्ष जितना छोटा होता हैं, उतना प्रभावशाली होता हैं।

    शिवपुराण के अनुसार रुद्राक्ष कोई भी धारण कर सकता हैं। रुद्राक्ष 14 प्रकार के होते हैं। उनका अलग-अलग फल एवं पहनने के मंत्र हैं।

    1 मुखी रुद्राक्ष- लक्ष्मी प्राप्ति,भोग एवं मोक्ष के लिए ‘ॐ ह्रीं नम:’ धारण मंत्र के साथ पहनें।

    2 मुखी रुद्राक्ष- कामनाओं की पूर्तिके लिए धारण मंत्र-‘ॐ नम:’ के साथ पहनें।

    3 मुखी रुद्राक्ष -विद्या प्राप्ति के लिए धारण मंत्र-‘ॐ क्लीं नम:’ को बोलकर पहनें।

    4 मुखी रुद्राक्ष -धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्राप्ति के लिए धारण मंत्र-‘ॐ ह्रीं नम:’ का स्मरण कर पहनें।

    5 मुखी रुद्राक्ष -मुक्ति एवं मनोवांछित फल हेतु धारण मंत्र-ॐ ह्रीं क्लीं नम: के साथ पहनें।

    6 मुखी रुद्राक्ष-पाप से मुक्ति हेतु मंत्र-ॐ ह्रीं ह्रुं नम: के साथ धारण करें

    7 मुखी रुद्राक्ष – ऐश्वर्यशाली होने के लिए मंत्र ॐ हुं नम: का ध्यान कर इस रुद्राक्ष को धारण करें।

    8 मुखी रुद्राक्ष-लंबी आयु प्राप्ति के लिए ॐ हुं नम: धारण मंत्र के साथ पहनें।

    9 मुखी रुद्राक्ष से सभी कामना पूर्ण होती हैं। इसे बाएं हाथ में ॐ ह्रीं ह्रुं नम: मंत्र के साथ धारण करें।

    10 मुखी रुद्राक्ष संतान प्राप्ति हेतु मंत्र-ॐ ह्रीं नम: के साथ पहनें।

    11 मुखी रुद्राक्ष सर्वत्र विजय प्राप्त करने हेतु इस धारण मंत्र-ॐ ह्रीं ह्रुं नम: के साथ पहनें।

    12 मुखी रुद्राक्ष रोगों में लाभ हेतु मंत्र-ॐ क्रौं क्षौं रौं नम: के साथ पहनें।

    13 मुखी रुद्राक्ष सौभाग्य एवं मंगल की प्राप्ति के लिए मंत्र-ॐ ह्रीं नम: के साथ पहनें।

    14 मुखी रुद्राक्ष समस्त पापों का नाश करता है। इसे धारण मंत्र-ॐ नम: के साथ पहनें।

    इसके अलावा एक गौरीशंकर रुद्राक्ष भी होता है। यह समस्त प्रकार के सुख प्रदान करने वाला होता है। इसे बिना किसी मंत्र के मात्र शुद्धि कर धारण कर सकते हैं। 

राशि के अनुसार रुद्राक्ष

  • रुद्राक्ष को हिन्दू शास्त्रों में बहुत ज्यादा पवित्र माना जाता है। रूद्र और अक्ष इन दो शब्दों से मिलकर रुद्राक्ष शब्द बना है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शिव के आंसुओं से ही रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि अगर रुद्राक्ष राशि के अनुसार के हिसाब से धारण किया जाए तो यह हमारे जीवन में बहुत परिवर्तन लाता है।

    हिंदू शास्‍त्र में रुद्राक्ष को बहुत महत्‍वपूर्ण और पवित्र माना गया है। इसे स्‍वयं भगवान शिव के अश्रुओं के रूप में पूजा जाता है। रुद्र और अक्ष जैसे दो शब्‍दों से मिलकर बना रुद्राक्ष शब्‍द बहुत शक्‍तिशाली होता है। मान्‍यता है कि शिव के अश्रुओं से ही रुद्राक्ष के वृक्ष की उत्‍पत्ति हुई थी।
    ज्‍योतिषशास्‍त्र के अनुसार प्रत्‍येक राशि का एक स्‍वामी ग्रह है और उस ग्रह से एक रुद्राक्ष संबंधित है। अगर कोई व्‍यक्‍ति अपनी राशि अनुसार रुद्राक्ष धारण करता है तो उसे इसके दोगुने फल प्राप्‍त होते हैं।

    लग्‍न के अनुसार रुद्राक्ष

    आज हम आपको लग्‍न राशि के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने के बारे में बता रहे हैं। अगर आप अपनी लग्‍न राशि के आधार पर रुद्राक्ष को धारण करेंगें तो आपके जीवन के सारे कष्‍ट और विपत्तियां दूर हो जाएंगीं।

    मेष राशि – मेष राशि का स्‍वामी मंगल होता है और मंगल साहस और वीरता का कारक है। साथ ही मंगल के प्रभाव में जातक अडियल और गुस्‍सैल भी बन जाता है। मेष राशि के जातकों को तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।

    वृषभ राशि – अपने लक्ष्‍य को पाने के लिए वृषभ राशि के लोग बहुत मेहनत करते हैं। वृषभ राशि का स्‍वामी शुक्र देव हैं और ये भौतिक सुख और ऐश्‍वर्य प्रदान करते हैं। इस राशि के लोगों को 6 मुखी और दस मुखी रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होता है।

    मिथुन राशि – मिथुन राशि का स्‍वामी बुध है और बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है। मिथुन राशि के लोग परिवर्तन और गतिशील स्‍वभाव के होते हैं। मिथुन राशि के जातकों को सफलता और धन की प्राप्‍ति के लिए 4 मुखी और 11 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

    कर्क राशि – कर्क राशि का स्‍वामी चंद्रमा होता है जोकि मन का कारक है। चंद्रमा मन को स्थिरता प्रदान करता है। ये लोग अपने कार्यों को पूरी निपुणता से करते हैं और इसीलिए इन्‍हें उसमें सफलता भी मिलती है। कर्क राशि के लोगों को 4 मुखी और गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।

    सिंह राशि – सिंह राशि का स्‍वामी सूर्य देव हैं। सूर्य को सफलता का कारक माना जाता है और जिस पर सूर्य देव की कृपा पड़ गई उसे जीवन में कभी भी असफलता का सामना नहीं करना पड़ता है। सिंह राशि के जातकों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।

    कन्‍या राशि – कन्‍या राशि का स्‍वामी भी बुध ग्रह है। बुध के शुभ प्रभाव में जातक बुद्धिमान बनता है और उसके द्वारा लिए गए सभी निर्णय सही साबित होते हैं। कन्‍या राशि के जातकों को गौरीशंकर रुद्राक्ष धारण करने से सबसे ज्‍यादा लाभ होता है।

    तुला राशि – तुला राशि के लोग हर निर्णय से पूर्व बहुत सोच-विचार करते हैं। इस राशि का स्‍वामी शुक्र है जोकि जीवन में भौतिक सुख प्रदान करते हैं। तुला राशि के जातकों को सात मुखी रुद्राक्ष और गणेश रुद्राक्ष पहनने से सर्वसुख की प्राप्‍ति होगी।

    वृश्चिक राशि – वृश्चिक राशि के लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं। इस राशि का स्‍वामी मंगल ग्रह है जोकि बहुत आक्रामक माना जाता है लेकिन इस राशि के लोगों के स्‍वभाव में आक्रामकता कम ही देखने को मिलती है। वृश्चिक राशि के लोगों को 8 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से शुभ फल की प्राप्‍ति होती है।

    धनु राशि – धनु राशि का स्‍वामी बृहस्‍पति है। इस राशि के लोग साहसी और उग्र स्‍वभाव के होते हैं। जीवन की विपत्तियों को टालने के लिए धनु राशि के जातकों को 9 मुखी और 1 मुखी रुद्राक्ष पहनना चा‍हिए।

    मकर राशि – मकर राशि का स्‍वामी शनि देव हैं और कहते हैं कि जिस पर शनि देव की कृपा हो जाए उसके वारे न्‍यारे हो जाते हैं अर्थात् उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। मकर राशि के जातकों को अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए 13 और 10 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।

    कुंभ राशि – कुंभ राशि पर भी शनि देव की कृपा बरसती है। कुंभ राशि के लोग बहुत ऊंचे और बड़े सपने देखते हैं लेकिन ये उन सपनों को पूरा करने का दम भी रखते हैं। इस राशि के जातकों के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष बहुत फायदेमंद रहता है।

    मीन राशि – मीन राशि का स्‍वामी बृहस्‍पति है। इस राशि के जातकों का स्‍वास्‍थ्‍य अकसर खराब रहता है। मीन राशि के जातकों को 5 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।

    किस धागे में पहनें रुद्राक्ष

    वैसे तो आप रुद्राक्ष को किसी भी रंग के धागे में पहन सकते हैं लेकिन इसे लाल रंग के रेशमी धागे में पहनना सबसे अधिक शुभ माना जाता है।
    रुद्राक्ष पहनने के नियम

    कलाई, गले या ह्रदय पर रुद्राक्ष को धारण किया जा सकता है।
    सबसे बेहतर रुद्राक्ष को गले में पहनना चाहिए। कलाई में 12, गले में 36 और ह्रदय पर 108 दानों का रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
    लाल धागे में एक दाना रुद्राक्ष का ह्रदय तक पहन सकते हैं।
    सावन, शिवरात्रि और सोमवार के दिन रुद्राक्ष पहनना सबसे उत्तम रहता है। रुद्राक्ष पहनने से पहले उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए।
    रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करना सर्वश्रेष्‍ठ फलदायक रहता है।
    रुद्राक्ष धारण करने वाले व्‍यक्‍ति को सात्‍विक जीवन का पालन करना चाहिए। आचरण शुद्ध ना रखने पर धारण कर्ता को इसका पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता है।

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